गुप्तोत्तर काल में शिक्षा और ज्ञान परंपराओं के विकास का विश्लेषण
Author(s): संध्या रानी
Abstract: गुप्तोत्तर काल (6वीं से 12वीं शताब्दी) भारतीय इतिहास का वह महत्वपूर्ण चरण है, जब राजनीतिक विघटन और क्षेत्रीय राज्यों के उदय के बावजूद शिक्षा, ज्ञान और बौद्धिक गतिविधियों में उल्लेखनीय प्रगति हुई। इस अवधि को "गुप्तोत्तर" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद का समय है, जब विभिन्न क्षेत्रीय साम्राज्यों और रियासतों का उदय हुआ। हालांकि राजनीतिक सत्ता में अस्थिरता रही, फिर भी शैक्षिक और बौद्धिक जीवन ने मजबूत आधार प्राप्त किया और यह काल भारतीय ज्ञान परंपरा के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस काल में विश्वविद्यालयीय परंपरा का विस्तार हुआ। नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने शिक्षा के उच्च मानक स्थापित किए और छात्रों को दूर-दराज़ के क्षेत्रों से आकर्षित किया। बौद्ध अध्ययन के साथ-साथ वैदिक, न्याय, मीमांसा, तंत्र और अन्य धार्मिक-दार्शनिक अनुशासनों का भी विकास हुआ। शिक्षण में गुरुकुल और आश्रम आधारित पद्धतियों का मिश्रण देखने को मिला, जिससे व्यक्तियों में नैतिक, दार्शनिक और बौद्धिक कौशल का विकास हुआ। गुप्तोत्तर काल में विज्ञान, गणित, चिकित्सा और खगोलशास्त्र में भी उल्लेखनीय योगदान हुआ। आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे गणितज्ञ और खगोलशास्त्री इस काल की बौद्धिक समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।
1 आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा पद्धतियों में नए ग्रंथों और तकनीकों का विकास हुआ, जिससे समाज में स्वास्थ्य और उपचार के क्षेत्र में सुधार आया। इसके अलावा, साहित्य, कविता, नाट्य, संगीत और कला के क्षेत्र में भी यह काल महत्वपूर्ण रहा। सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि से यह काल महत्वपूर्ण था क्योंकि शिक्षा और ज्ञान के प्रसार ने समाज में विचारशीलता और बौद्धिक चेतना को बढ़ावा दिया। उच्च शिक्षा प्राप्त विद्वानों ने प्रशासन, धर्म और समाज में नेतृत्व किया, न्याय और नैतिकता के मूल्यों को समाज में स्थापित किया और विभिन्न समुदायों के बीच सांस्कृतिक संवाद को प्रोत्साहित किया। इस प्रकार, गुप्तोत्तर काल न केवल राजनीतिक दृष्टि से विभाजित था, बल्कि बौद्धिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह भारतीय इतिहास में समृद्ध और स्थायी योगदान देने वाला युग रहा। यह काल शिक्षा और ज्ञान परंपरा की प्रगति, विश्वविद्यालयीय संरचनाओं के विकास और विज्ञान, कला और दर्शन में नवाचार के लिए स्मरणीय है।
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How to cite this article:
संध्या रानी. गुप्तोत्तर काल में शिक्षा और ज्ञान परंपराओं के विकास का विश्लेषण. Int J Hist 2025;7(9):01-04.