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International Journal of History

2022, Vol. 4, Issue 2, Part C

स्वस्थ जीवन की पहली सीढ़ी स्वच्छता: गाँधीय दृष्टिकोण


Author(s): पिंकी मीना

Abstract:
सृष्टि के सर्वोच्च स्तर पर होने के कारण मनुष्य में स्वच्छता का स्तर भी उच्च होना चाहिए। गांधी एक ऐसे व्यवहारिक आदर्शवादी व्यक्ति थे जिन्होंने स्वच्छता में ईश्वर का निवास खोजा। स्वच्छता को आज संकुचित दायरे से आगे ले जाकर नागरिकों के शारीरिक व मानसिक विकास से जोड़ने की आवश्यकता है। गांधी के अनुसार निरोग शरीर में ही निर्विकार मन का वास होता है तथा स्वास्थ्य के साधारण से नियमों का पालन करके हम तंदुरुस्त रह सकते हैं ।
गांधी के आश्रम में भी स्वच्छता पर विशेष जोर दिया जाता था वहां गांधी स्वयं संडास सफाई का कार्य करते थे ताकि यह गतिविधि सभी की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन सके। गांधी भारतीयों की कम सफाई की आदतों का वर्णन करते हुए रेलवे व तीर्थ स्थानों में फैली गंदगी व बदबूदार वातावरण के बारे में नाराजगी व्यक्त करते हैं । गांधी के अनुसार स्वच्छता व्यक्ति को हर तरफ से आत्मविश्वासी, अनुशासित व स्पष्ट नजरिया वाला इंसान बनाती है। गंदे शौचालयों के इस्तेमाल से हम बीमारियों को न्योता देते हैं जो पैसा व समय दोनों की बर्बादी करते हैं। सफाई के कार्य को उत्कृष्ट मानकर ही उन्होंने मैला ढोने वालों को ष्हरिजनष् से संबोधित किया ।


Pages: 185-187 | Views: 183 | Downloads: 68

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How to cite this article:
पिंकी मीना. स्वस्थ जीवन की पहली सीढ़ी स्वच्छता: गाँधीय दृष्टिकोण. Int J Hist 2022;4(2):185-187.
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