गांधी से महात्मा बनने का सफर
Author(s): सोनिका भारती
Abstract: मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, का जीवन एक लंबी नैतिक यात्रा का परिणाम था। उन्होंने सत्य, अहिंसा और आत्मसंयम जैसे सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारा, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण थे। गांधी का प्रारंभिक जीवन सत्य, आत्मसंयम और करुणा के अभ्यास से भरा था। दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ संघर्ष ने उन्हें सत्याग्रह का जन्मदाता बना दिया। भारत लौटने के बाद, उन्होंने जनसंघर्षों का नेतृत्व किया, जिसमें चंपारण, खेड़ा और दांडी यात्रा शामिल थीं। गांधी ने असहमति के बावजूद अहिंसात्मक प्रतिरोध को प्राथमिकता दी। उनका जीवन यह दर्शाता है कि नेतृत्व केवल सत्ता से नहीं, बल्कि नैतिकता, त्याग और लोकसेवा से उत्पन्न होता है। गांधी का 'महात्मा' बनना एक नैतिक साधना का प्रतीक बन गया, जिसने उन्हें वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाया।
DOI: 10.22271/27069109.2025.v7.i8a.485Pages: 13-15 | Views: 346 | Downloads: 90Download Full Article: Click Here