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International Journal of History

2025, Vol. 7, Issue 12, Part B

स्वतंत्र भारत में भाषा-आधारित राज्य पुनर्गठन की भूलें एवं क्षेत्रीय विवादों का जन्म: ऐतिहासिक अध्ययन


Author(s): Dr. Kirti Kumari

Abstract: यह शोध पत्र स्वतंत्र भारत में भाषा-आधारित राज्य पुनर्गठन के ऐतिहासिक निर्णय का आलोचनात्मक विश्लेषण करता है । 1950 के दशक में राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) की सिफारिशों के आधार पर किए गए इस पुनर्गठन को भारतीय संघ में एकता और प्रशासनिक सुविधा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू किया गया था । हालाँकि, यह अध्ययन तर्क देता है कि "एक भाषा, एक राज्य" के सिद्धांत के कठोर अनुप्रयोग और सीमांकन में की गई ऐतिहासिक भूलों (oversights) ने अनजाने में कई क्षेत्रीय विवादों और अंतर्राज्यीय संघर्षों को जन्म दिया ।
शोध, पंजाब पुनर्गठन, बेलगाम सीमा विवाद (महाराष्ट्र-कर्नाटक), और असम से पूर्वोत्तर के राज्यों के अलगाव जैसे विशिष्ट केस स्टडीज़ का उपयोग करते हुए यह दर्शाता है कि कैसे नए राज्यों के भीतर भाषाई अल्पसंख्यकों की अनदेखी और प्रशासनिक व आर्थिक व्यवहार्यता की उपेक्षा ने क्षेत्रीय पहचान को बढ़ावा दिया, जिससे अलगाववादी प्रवृत्तियाँ और हिंसक आंदोलन उत्पन्न हुए । निष्कर्ष यह है कि जबकि पुनर्गठन ने भाषाई समुदायों को संतुष्ट किया, इसके परिणामस्वरूप उपजे क्षेत्रीय तनाव आज भी भारतीय राजनीति और संघवाद के लिए एक चुनौती बने हुए हैं ।

DOI: 10.22271/27069109.2025.v7.i12b.592

Pages: 72-79 | Views: 147 | Downloads: 88

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How to cite this article:
Dr. Kirti Kumari. स्वतंत्र भारत में भाषा-आधारित राज्य पुनर्गठन की भूलें एवं क्षेत्रीय विवादों का जन्म: ऐतिहासिक अध्ययन. Int J Hist 2025;7(12):72-79. DOI: 10.22271/27069109.2025.v7.i12b.592
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