आधुनिक भारत में अर्थव्यवस्था और रोजगार पर भूमंडलीकरण का प्रभाव
Author(s): अदिति प्रिया] डॉ- कंचन सिन्हा
Abstract: यह शोध आधुनिक भारत में भूमंडलीकरण के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजार से गहराई से जुड़ गई, जिसके परिणामस्वरूप जीडीपी वृद्धि दर में तेजी, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में वृद्धि और सेवा क्षेत्र, विशेषकर आईटी और बीपीओ उद्योगों में रोजगार सृजन हुआ। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और तकनीकी नवाचार ने भारत को प्रतिस्पर्धी लाभ प्रदान किया। हालांकि, भूमंडलीकरण के दुष्प्रभाव भी स्पष्ट हुए—आय असमानता, रोजगार का अनौपचारिकीकरण, छोटे और मध्यम उद्योगों पर प्रतिस्पर्धा का दबाव, तथा कृषि क्षेत्र में मूल्य अस्थिरता। अध्ययन दर्शाता है कि गरीबी दर में उल्लेखनीय कमी आई है, लेकिन सामाजिक और क्षेत्रीय असमानता गहराई है। इस प्रकार, भूमंडलीकरण भारत के लिए एक द्विआयामी प्रक्रिया साबित हुआ, एक ओर आर्थिक प्रगति और अवसर, तो दूसरी ओर असमानता और असुरक्षा। शोध का निष्कर्ष है कि भारत को एक संतुलित और समावेशी विकास मॉडल अपनाना होगा ताकि वैश्वीकरण के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँच सकें।
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How to cite this article:
अदिति प्रिया] डॉ- कंचन सिन्हा. आधुनिक भारत में अर्थव्यवस्था और रोजगार पर भूमंडलीकरण का प्रभाव. Int J Hist 2025;7(10):91-95.