पारसनाथ जैन धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² के रूप में: à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾
Author(s): डॉ. पà¥à¤¨à¤® कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€, सोनल कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract: जैन धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है जैन तीरà¥à¤¥à¤‚करों की संखà¥à¤¯à¤¾ 24 है जिनमें से कहा जाता है कि 20 तीरà¥à¤¥à¤•à¤° पारसनाथ पहाड़ी जिसे समà¥à¤®à¥‡à¤¦ शिखर कहा जाता है वहां पर निरà¥à¤µà¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया थाl पारसनाथ जैनियों के लिठà¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² हैl पारसनाथ à¤à¤¾à¤°à¤–ंड के गिरिडीह जिले में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हैl पारसनाथ जनजातियों के लिठà¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² है माना जाता है यहां के जनजाति मारंग बà¥à¤°à¥‚ के रूप में इसकी पूजा करते हैंl सालों à¤à¤° यहां सेनानियों की à¤à¥€à¤¡à¤¼ लगी रहती हैl विशेषकर जैनी इस पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤² की यातà¥à¤°à¤¾ सालोंà¤à¤° करते हैंl पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• छटा बिखेरे पारसनाथ पहाड़ी अतà¥à¤¯à¤‚त ही सà¥à¤‚दर पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता हैl यह पहाड़ी मोकà¥à¤·à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¨à¥€ है संà¤à¤µà¤¤ यही कारण है कि विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जैन तीरà¥à¤¥à¤‚कर ने इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को निरà¥à¤µà¤¾à¤£ के लिठचà¥à¤¨à¤¾ थाl पारसनाथ पहाड़ी के नीचे मधà¥à¤¬à¤¨ नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है यहां कई जैन मंदिर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैl जैन मंदिरों के वासà¥à¤¤à¥ कला अति सà¥à¤‚दर हैl यह सà¥à¤¥à¤² जैनियों के साथ-साथ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धरà¥à¤®à¤¾à¤µà¤²à¤‚बी के लिठअपार शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ का केंदà¥à¤° हैl
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डॉ. पà¥à¤¨à¤® कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€, सोनल कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. पारसनाथ जैन धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² के रूप में: à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾. Int J Hist 2023;5(1):05-08.