बिहार के सामाजिक आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ और रामवृकà¥à¤· बेनीपà¥à¤°à¥€
Author(s): अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° ‘अमर’
Abstract: बेनीपà¥à¤°à¥€à¤œà¥€ लेखक होने के साथ-साथ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानी, समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•, किसान मजदूरों के हमदरà¥à¤¦, समाजवादी कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾, जà¥à¤à¤¾à¤°à¥‚ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¤• साथ थे। बेनीपà¥à¤°à¥€ जी ने कहानी, उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸, निबनà¥à¤§, नाटक, जीवनी, संसà¥à¤®à¤°à¤£, राजनीतिक निबनà¥à¤§, बाल साहितà¥à¤¯, शबà¥à¤¦à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤°, कविता आदि विधाओं में पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में लिखा है। सैकड़ों पृषà¥à¤ ों में उनकी डायरियां à¤à¥€ फैली हैं। इनमें उनके निजी, आंतरिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ और उनके समय का नया परिचय मिलता हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ किà¤, जिनमें रवीनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ ठाकà¥à¤° तथा अंगà¥à¤°à¤œà¥€ के कà¥à¤› रोमांटिक कवियों की कविताओं के अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं। बेनीपà¥à¤°à¥€ का यह सारा साहितà¥à¤¯ बीसवीं सदी में à¤à¤• नया à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज बनाने की कोशिश का हिसà¥à¤¸à¤¾ है।
Pages: 129-131 | Views: 698 | Downloads: 162Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° ‘अमर’. बिहार के सामाजिक आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ और रामवृकà¥à¤· बेनीपà¥à¤°à¥€. Int J Hist 2021;3(2):129-131.