अशोक के धम्म-नीति की समीक्षा
Author(s): डा0 सुष्मिता
Abstract: इसमें कोई संदेह नहीं कि अशोक अद्भुत प्रतिभाशाली और असाधारण व्यक्तित्व वाला व्यक्ति था। वह एक अत्यन्त ही व्यवहारिक व्यक्ति था। चाहे वैदिक धर्म हो, जैन धर्म हो, आजीविक सम्प्रदाय हो, सभी धर्म नैतिक मूल्यों पर आधारित हैं। इन नैतिक मूल्यों को हर काल में, हर युगों में प्रत्येक व्यक्ति को पालन करना चाहिए। अशोक ने इन्हीं मूल्यों को स्तंभों पर, षिलाओं पर तथा गुहा की दीवारों पर लिखवाए ताकि ये चिर स्थाई रह सकें। आने वाली हर पीढ़ी इस नैतिकता को जाने, समझे तथा उसका पालन करें।
निःसंदेह अशोक और उसके अभिलेखों से संबंधित अनेक शोध कार्य हो चुके है। इतिहासकारों ने अपने-अपने तरीके से अशोक के अभिलेखों की समीक्षा समय-समय पर की है। प्राथमिक स्रोत-अभिलेखों के आधार पर यह शोध-पत्र लिखा गया है। साथ-ही-साथ अपने शोध को बढ़ाने के लिए कुछ गं्रथों का भी सहारा लिया गया है।
मेरी जानकारी के अनुसार उपर्युक्त शीर्षक से संबंधित अधिक-से-अधिक इस ओर शोध करने की आवष्यकता है। नवीनतम अनुसंधान एवं शोध एक नई दिषा प्रदान कर सकता है।
Pages: 17-20 | Views: 1536 | Downloads: 1128Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
डा0 सुष्मिता. अशोक के धम्म-नीति की समीक्षा. Int J Hist 2021;3(1):17-20.