लोक संस्कृति के विकास में संत रविदास का सामाजिक एव सांसकृतिक अवदान
Author(s): प्रवीण कुमार वर्मा
Abstract: महान समाज सुधारक, संत षिरोमणि, परमयोगी महान रविदास के बचपन का नाम मानद दास था। रविदास का जन्म बनारस के पास एक छोटी सी बसती सिर गोवर्धन पुर में माघ शुक्ल पूर्णिमा रविवार को हुआ था।
इनके पिता का नाम रघ या राघव तथा माता का नाम कर्मा देवी था। ये चँवरवंषी चमार जाति से थे। गुरू आचार्य प्रवर स्वामी रामानंद जी थे। सात वर्ष की अवस्था में ही ये प्रभु की नवधा भक्ति करने लगे थे। इनकी पत्नी का नाम लोणा था, जिसे तांत्रिक एवं चमत्कारों के देवी के रूप् में पूजा जाता है। इनके नाम के बिना कोई मंत्र सिद्ध नहीं होता। संत रविदास को मीराबाई का गुरू माना जाता है। गुरू ग्रंथ साहेब में इनके लगभग सौ पद संग्रहित है। इनकी रचनाओं का एक संग्रह, रविदास की बाणी के नाम से प्रकाषित हो चुका है। रैदास भक्त, समाज सुधारक एवं सच्चे कर्म योगी थे।
Pages: 194-196 | Views: 678 | Downloads: 193Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
प्रवीण कुमार वर्मा. लोक संस्कृति के विकास में संत रविदास का सामाजिक एव सांसकृतिक अवदान. Int J Hist 2020;2(2):194-196.