अध्यात्म, राष्ट्र निमार्ण और तिलक
Author(s): डाॅ. राकेश कुमार झा
Abstract: भारतीय राष्ट्रीय विमोचन संग्राम के महान् सेनानी, लब्धामर-कीर्ति राष्ट्रपुरूष, वेदाचार्य, गीताभाष्यकार, प्रौढ़ साहित्य सृष्टा, वेदान्त-तत्त्वज्ञ, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का स्थान भारत के सार्वजनिक जीवन में अत्यन्त उच्च महिमामंडित और प्रसिद्ध है। उनकी बुद्धि प्रखर थी और आंग्ल-भारतीय नौकरशाही के कार्यो, दुर्राभसंधियों, दैधीभावों और कुटिलपूर्ण कुचर्कों को वे अच्छी तरह समझते थे। वे सरकार की जनता-हित-मर्दक योजनाओं और षड्यंत्रों को जानते थे और बिना हिचक उनका पदाफर्श करते थे। उनकी उच्च बौद्धिक शक्तियाँ आश्चर्यजनक जान पड़ती है। उनको ऋग्वेद, शांङ्कर-रामानुजीय वेदान्त, महाभारत, गीता, कांट, ग्रीन और स्पेन्सर का शास्त्रीय ज्ञान था। भारतीय इतिहास और भारतीय अर्थशास्त्र का भी उन्हें गहरा ज्ञान था।
परंतु उनकी महान बौद्धिक रचनाओं के बावजूद जीवन मेंद्य उनका सबसे बड़ा ऐश्वर्य था-उनका दृढ़ नैतिक चरित्र जो आध्यात्म से लैस था और राष्ट्र निमार्ण के लिए इसी को लोकमान्य तिलक ने हथियार बनाया।
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डाॅ. राकेश कुमार झा. अध्यात्म, राष्ट्र निमार्ण और तिलक. Int J Hist 2020;2(2):142-145.