मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ मिथिला के समाज पर शाकà¥à¤¤ धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ
Author(s): पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾
Abstract: मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ मिथिला में शà¥à¤•à¥à¤² यरà¥à¤œà¥à¤µà¥‡à¤¦ के समरसà¥à¤¤à¤¾ का सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ और शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤•à¤¾à¤° योगीनà¥à¤¦à¥à¤° नाम के धरà¥à¤®-शासà¥à¤¤à¥à¤° शिरोमणि हà¥à¤à¥¤ जैसा कि मिथिला मिहिर के 1936 के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ में समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• सà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤¾ सà¥à¤®à¤¨ ने इंगित किया है कि नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ सूतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° गौतम, पà¥à¤°à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मà¥à¤¨à¤¿ है किनà¥à¤¤à¥ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ शासà¥à¤¤à¥à¤° के आचारà¥à¤¯ के रूप में योगिनà¥à¤¦ का नाम बहà¥à¤¤ ही समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ लिया जाता है और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ ने इनका परिचय (मिथिला रहसà¥à¤¯à¤ƒ सः योगिनà¥à¤¦à¥à¤°à¤ƒ) कहकर कराया है। सांखà¥à¤¯ शासà¥à¤¤à¥à¤° के आविषà¥à¤•à¤¾à¤°à¤•à¤¤à¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ कपिल मà¥à¤¨à¤¿ जो à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ ऋषि à¤à¥€ हैं और पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² के माने जाते हैं, का वास à¤à¥€ मिथिला में ही था। कà¥à¤› विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का मत है कि वे कपिलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रहने वाले थे तो कà¥à¤› दूसरों का मानना है कि वे दरà¤à¤‚गा शहर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कादिराबाद, जो तब कपिलावाद के नाम से जाना जाता था, के रहने वाले थे। à¤à¤• मत पà¥à¤°à¤°à¥à¤µà¤¤à¤• जहाठपà¥à¤°à¥‹. डा. सतà¥à¤¯ नारायण ठाकà¥à¤° हैं वही दूसरे मत के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• बिहारीलाल फितरत को कहा जाता है। इसके अलावा इसी कालखणà¥à¤¡ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ चरणों में शताननà¥à¤¦, विà¤à¤¾à¤£à¥à¤¡à¤• और इनसे पूरà¥à¤µ, सहरसा के मधेपà¥à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सिंहेशà¥à¤µà¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ मंदिर के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• ऋषि शà¥à¤°à¥ƒà¤‚णि थे जो पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ होने से सà¤à¥€ के परिचित à¤à¥€ हैं और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¤¾à¤œà¤¨ à¤à¥€ हैं। इनके अलावे मिथिला के विà¤à¥‚तियों में पà¥à¤°à¤¾à¤£-पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कणाद नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और परमाणॠके पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• थे, साथ ही कौशिक आदि का à¤à¥€ मिथिला के विà¤à¥‚तियांठऔर सिदà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया गया है।
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पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾. मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ मिथिला के समाज पर शाकà¥à¤¤ धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ. Int J Hist 2020;2(2):117-120.