औपनिवेशिक भारत का प्रेस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का ‘सेफ्टी-वाल्व’
Author(s): डॉ. श्रवण कुमार ठाकुर
Abstract: औपनिवेशिक भारत के भारतीय प्रेस व समाचार-पत्र के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि इस युग का भारत ब्रिटेन के साथ सम्बन्ध-विच्छेद की बात नहीं सोचता था|यह समझा जाता था कि भारत पर ब्रिटिश सत्ता का रहना उसके हित में है क्योंकि इससे भारत की एकता को बल मिलता है और उसके भौतिक और सांस्कृतिक हितों का साधन होता है| इसी के साथ-साथ भारत सरकार के प्रशासन से प्रेस असंतुष्ट थे| जिसके कारण खर्चीले युद्ध, व्यय में वृद्धि, अधिक टैक्स, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सामाजिक और बौद्धिक कल्याण के कार्यों की उपेक्षा होती थी| उच्च सेवाओं से भारतियों कोअलग रखने और बहुत खर्चीले ब्रिटिश अधिकारिओं की नियुक्ति, भारतियों को भाग न देना, जिसका मतलब था उनकी बौद्धिक सामर्थ्य और ईमानदारी में अविश्वास इन सबसे जनता में गहरी और लगातार नाराजगी पैदा होने लगी थी|जिससे प्रेस व पत्रिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेफ्टी-वाल्व के रूप में कार्य करने लगे थे|
Pages: 115-116 | Views: 564 | Downloads: 154Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
डॉ. श्रवण कुमार ठाकुर. औपनिवेशिक भारत का प्रेस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का ‘सेफ्टी-वाल्व’. Int J Hist 2020;2(2):115-116.