दयानंद सरस्वती के शैक्षिक दर्शन, सामाजिक और राजनीतिक विचार
Author(s): डॉ. रश्मि किरण
Abstract: सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद à¤à¤• महान शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦ समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• और à¤à¤• सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ à¤à¥€ थे। वे पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के à¤à¤• महान सैनिक थे, à¤à¤—वान की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में à¤à¤• योदà¥à¤§à¤¾, पà¥à¤°à¥‚ष और संसà¥à¤¥à¤¾ के मूरà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤° थे। दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ का सबसे बड़ा योगदान आरà¥à¤¯ समाज की नींव थी जिसने शिकà¥à¤·à¤¾ और धरà¥à¤® के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¤• कांनà¥à¤¤à¤¿ ला दी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ उन सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¿à¤® बलों मेें से à¤à¤• हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने हाल के दिनों में जाना गया है। दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ को उनके तीन पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ योगदान “सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶”, वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¥‚मिका और “वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¥‚मिका और वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ से जाना जा सकता है। इसके अलावा उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संपादित पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ “आरà¥à¤¯ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾” à¤à¥€ उनके विचार को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¿ है। आरà¥à¤¯ समाज के महान संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राजनीतिक विचारों के इतिहास में à¤à¤• अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखते हैंै। जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¥‡-लिखे यà¥à¤µà¤• यूरोपीय सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के सतही पहलà¥à¤“ं की नकल कर रहे थे और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लोगों की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पर कोई धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिठबिना इंगà¥à¤²à¥ˆà¤¡ की राजनीतिक संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं को à¤à¤¾à¤°à¤¤ की धरती में रोपित करने के लिठआंदोलन कर रहे थे, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अवजà¥à¤žà¤¾ को बहà¥à¤¤ आहत किया पशà¥à¤šà¤¿à¤® के सामाजिक, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• और राजनीतिक वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ के खिलाफ थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद, à¤à¤¾à¤°à¤¤-आरà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¾ के सबसे बड़े पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में राजनीति में सबसे उतà¥à¤°à¤¤ विचारों के सबसे बड़े पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤• साबित हà¥à¤à¥¤ वह मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, जाति पà¥à¤°à¤¥à¤¾ करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚ड, à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦, नशाखोरी, के खिलाफ थे। वे दबे-कà¥à¤šà¤²à¥‡à¥‡ वरà¥à¤— के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिठà¤à¥€ खड़े थे। वेद और हिंदà¥à¤“ें के वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसà¥à¤²à¤¾à¤® और ईसाई धरà¥à¤® का विरोध किया और संधी आंदोलन को हिंदू संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के अनà¥à¤¯ संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को फिर से संगठित करने की वकालत की। दयानंद ने राजà¥à¤¯ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त, सरकारों के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प, तीन-विधान सरकार के कारà¥à¤¯, कानून के नियम आदि के बारे में बताते हà¥à¤ राजनीतिक विचार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤
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How to cite this article:
डॉ. रश्मि किरण.
दयानंद सरस्वती के शैक्षिक दर्शन, सामाजिक और राजनीतिक विचार . Int J Hist 2019;1(1):64-67. DOI:
10.22271/27069109.2019.v1.i1a.59