International Journal of History | Logo of History Journal
  • Printed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
Peer Reviewed Journal

International Journal of History

2025, Vol. 7, Issue 7, Part A

विनायक दामोदर सावरकर का सामाजिक ऐवम राजनीतिक चिंतन और भारतीय समाज में उनका महत्व: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में विवेचना


Author(s): ऋतु

Abstract: यह शोध-पत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर के सामाजिक एवं राजनैतिक विचारों की विवेचना करता है। सावरकर स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रांतिकारी नेता होने के साथ-साथ एक विचारक, लेखक, और हिंदुत्व के वैचारिक स्तंभ माने जाते हैं। इस शोध में उनके सामाजिक सुधारों, जातिवाद विरोध, अस्पृश्यता के विरुद्ध संघर्ष, साथ ही उनके राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, और स्वराज्य संबंधी दृष्टिकोणों का विश्लेषण किया गया है। इस शोध का उद्देश्य उनके दर्शन की समकालीन प्रासंगिकता को भी समझना है। विनायक दामोदर सावरकर एक जटिल, दूरदर्शी और साहसी राजनीतिक विचारक थे, जिनके विचारों को पारंपरिक वैचारिक श्रेणियों में बांधना कठिन है। वे न तो उदारवादी थे, न ही समाजवादी, और किसी एक विचारधारा के अनुयायी भी नहीं थे। उन्होंने धार्मिक ग्रंथों की आलोचनात्मक समीक्षा को आवश्यक माना और धर्म का प्रयोग सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया। वे तर्कवाद, वैज्ञानिक भौतिकवाद और मानवतावाद से प्रभावित थे, और उनके विचारों को अक्सर परंपरावादियों ने उग्र तथा मध्यमार्गियों ने अतिवादी समझा। सावरकर ने "सांस्कृतिक राष्ट्रवाद" का सिद्धांत प्रतिपादित किया, जो उस समय के "भौगोलिक राष्ट्रवाद" के विचार से भिन्न था। उनके अनुसार, संस्कृति मानव द्वारा रचित होती है और वह राष्ट्र की विचारधारा, आचार और पराक्रम का प्रतीक होती है। उनका राजनीतिक लक्ष्य भारत की पूर्ण स्वतंत्रता था, जिसे उन्होंने मानवता के व्यापक हित से जोड़ा। उन्होंने 'हिंदुत्व' की अवधारणा प्रस्तुत की, जो हिंदू पुनरुत्थानवादी आंदोलनों से प्रेरित थी। हिंदुत्व को उन्होंने एक सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान के रूप में परिभाषित किया, जिसमें एक व्यक्ति हिंदू तभी कहलाएगा जब वह भारतभूमि को अपनी पितृभूमि और पुण्यभूमि माने। सावरकर की दृष्टि में "हिंदू राष्ट्र" का निर्माण उन लोगों के माध्यम से संभव है जो सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषायी और ऐतिहासिक रूप से एकसूत्र में बंधे हुए हों। उन्होंने भारत में हिंदू एकता को राष्ट्र निर्माण का आधार माना और हिंदुत्व को इस प्रक्रिया की केंद्रीय अवधारणा के रूप में स्थापित किया।

DOI: 10.22271/27069109.2025.v7.i7a.455

Pages: 14-18 | Views: 44 | Downloads: 20

Download Full Article: Click Here

International Journal of History
How to cite this article:
ऋतु. विनायक दामोदर सावरकर का सामाजिक ऐवम राजनीतिक चिंतन और भारतीय समाज में उनका महत्व: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में विवेचना. Int J Hist 2025;7(7):14-18. DOI: 10.22271/27069109.2025.v7.i7a.455
International Journal of History
Call for book chapter