राजपूत काल में सामाजिक परिवर्तन: जातीय संरचना, नारी स्थिति, धर्म और सांस्कृतिक गतिशीलता का विश्लेषण
Author(s): रूपम कुमारी
Abstract: राजपूत काल (आठवीं से बारहवीं शताब्दी) भारतीय उपमहाद्वीप के मध्यकालीन इतिहास का एक ऐसा चरण है, जहाँ राजनीतिक विकेंद्रीकरण के बीच समाज में गहन और बहुआयामी परिवर्तन हुए। यह शोध आलेख विशेष रूप से इस युग में घटित सामाजिक परिवर्तन की प्रकृति, दिशा और प्रभावों का विश्लेषण करता है। इस काल में जातीय संरचना में कठोरता के साथ-साथ आंशिक सामाजिक गतिशीलता भी देखी जाती है। क्षत्रिय जातियों का उदय, नयी राजवंशीय जातियों का क्षत्रियकरण, और ब्राह्मणों की सामाजिक सर्वोच्चता की पुनः स्थापना – ये सभी परिवर्तन सामाजिक संरचना में नए स्वरूप का संकेत देते हैं।नारी की सामाजिक स्थिति में भी उल्लेखनीय परिवर्तन परिलक्षित होते हैं। सती प्रथा, बाल विवाह और पर्दा प्रथा जैसी रूढ़ियाँ जहां स्त्रियों की स्वतंत्रता को सीमित करती हैं, वहीं कुछ राजपूत रानियाँ – जैसे रानी दुर्गावती राजनीतिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। स्त्रियों की भूमिका धार्मिक और लोक सांस्कृतिक जीवन में भी विशिष्ट रही। धार्मिक क्षेत्र में शैव, वैष्णव और शक्ति संप्रदायों का पुनरुत्थान होता है। साथ ही, जैन धर्म और बौद्ध धर्म की प्रभावशीलता में ह्रास दिखाई देता है। इस काल में तीर्थ, मंदिर और धार्मिक अनुष्ठानों का सामाजिक जीवन में अत्यधिक महत्व था। यह धार्मिक जीवन केवल आस्था का नहीं, बल्कि सामाजिक व आर्थिक संगठन का भी माध्यम था।सांस्कृतिक स्तर पर इस काल में लोकपरंपराओं, साहित्य, कला और स्थापत्य में निरंतरता और नवीनता का सुंदर संगम देखने को मिलता है। संस्कृत साहित्य के साथ-साथ अपभ्रंश और क्षेत्रीय भाषाओं में काव्य और लोकगीतों का विकास हुआ। मंदिर निर्माण शैली में भी क्षेत्रीय विविधता के साथ कलात्मक प्रगति देखी जाती है।यह आलेख इन सभी पहलुओं का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करता है, और इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि राजपूत काल एक ओर जहाँ परंपराओं का पोषक था, वहीं दूसरी ओर सामाजिक परिवर्तन की धीमी लेकिन सशक्त लहरों का भी वाहक रहा। यह अध्ययन सामाजिक इतिहास के अध्ययनकर्ताओं के लिए एक मूल्यवान संदर्भ बन सकता है, क्योंकि यह मध्यकालीन भारतीय समाज की बहुआयामी संरचना और उसकी गतिशीलता को उद्घाटित करता है।
DOI: 10.22271/27069109.2025.v7.i5a.397Pages: 12-15 | Views: 119 | Downloads: 57Download Full Article: Click Here
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रूपम कुमारी.
राजपूत काल में सामाजिक परिवर्तन: जातीय संरचना, नारी स्थिति, धर्म और सांस्कृतिक गतिशीलता का विश्लेषण. Int J Hist 2025;7(5):12-15. DOI:
10.22271/27069109.2025.v7.i5a.397