तालबेहट दुर्ग का सांस्कृतिक महत्व
Author(s): शैलेन्द्र कुमार, डॉ. सावित्री सिंह परिहार
Abstract: तालबेहटदुर्गवर्तमानमेंउत्तरप्रदेशराज्यकेललितपुरजनपदमेंअवस्थितहैतलबैहटकस्बेमें, बेतवानदीकेकिनारेएकपहाड़ीपरबनाहै।इसकानिर्माण16वींशताब्दीमेंमानाजाताहै, औरयहमध्यकालीनभारतीयस्थापत्यकलाकाएकउत्कृष्टनमूनाहै।यहभीएकपर्यटकस्थलकेरूपमें,वेझांसी-सागरमार्गपरझांसीसेलगभग31 किलोमीटरदूरयहदुर्गअवस्थितहै| तालबेहटमेंएकरेलवेस्टेशनभीबनायागयाहैइसकानामकरणलालअथवासरोवरकेनामकेआधारपरकियागयाहै|यहांपरएकप्राकृतिकआकृतिकातालाबयाझीलहैजिसेसरोवरकेनामसेजानाजाताहै|यहांकेलोगोंकाअधिकांशजनजीवनकृषिएवंअन्यसिंचाईपरियोजनाएंइसीसरोवरपरआधारितहै| अतःलोगइसपरनिर्भरहैं|यहांकेनिवासीगोंडवानाभाषाबोलतेहैं| तलबेहटदुर्गकानिर्माणसंभवतःबुंदेलाराजपूतोंद्वाराकियागयाथा।यहक्षेत्रबुंदेलखंडकाहिस्साहै, जोअपनीवीरताऔरसमृद्धसांस्कृतिकविरासतकेलिएप्रसिद्धहै।इसदुर्गकासामरिकमहत्वथाक्योंकियहबेतवानदीकेकिनारेस्थितथा, जोव्यापारऔरयुद्धकेलिएमहत्वपूर्णमार्गथा।मध्यकालमेंयहदुर्गकईयुद्धोंकागवाहरहाऔरविभिन्नशासकों, जैसेबुंदेलों, मराठोंऔरबादमेंअंग्रेजोंकेअधीनरहा।दुर्गएकपहाड़ीपरबनाहै, जोइसेप्राकृतिकसुरक्षाप्रदानकरताहै।इसेगिरिदुर्गकीश्रेणीमेंरखाजासकताहै।इसकीमोटीदीवारेंऔरमजबूतप्रवेशद्वारदुश्मनोंकेलिएइसेअभेद्यबनातेथे।दुर्गकेभीतरकईमहल, मंदिरऔरजलाशयहैं, जोउससमयकीवास्तुकलाऔरजीवनशैलीकोदर्शातेहैं।दुर्गकापरकोटाऔरबुर्जइसकीरक्षात्मकसंरचनाकोऔरमजबूतकरतेहैं।
तलबेहटदुर्गकानामसंभवतः "ताल" (जलाशय) और "बैहट" (बस्ती) सेप्रेरितहै, जोइसकेजलऔरस्थानीयबस्तीसेसंबंधकोदर्शाताहै।यहदुर्गअपनीरणनीतिकस्थितिकेकारणमध्यकालमेंकईबारसत्तापरिवर्तनकासाक्षीरहा।स्थानीयकिंवदंतियोंकेअनुसार, इसदुर्गमेंकईगुप्तमार्गऔरसुरंगेंथीं, जोयुद्धकेसमयउपयोगकीजातीथीं।वासतावमेंयहबुंदेलखंडकिदुर्गपरंपराकायेअनूठानमूनाप्रस्तुतकर्ताहै।
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How to cite this article:
शैलेन्द्र कुमार, डॉ. सावित्री सिंह परिहार. तालबेहट दुर्ग का सांस्कृतिक महत्व. Int J Hist 2025;7(5):01-05.