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International Journal of History

2025, Vol. 7, Issue 10, Part B

बिहार के अस्पृश्यता उन्मूलन आंदोलन में गांधीजी की भूमिका


Author(s): रवीन्द्र कुमार

Abstract: भारत की सामाजिक व्यवस्था में सर्वप्रथम चतुर्वर्णीय वर्ण-व्यवस्था की संरचना कर्म आधारित था। इसमें प्रारंभ मे सोपानक्रम नहीं था, सभी वर्ण एक की स्तर पर थे । एक ही परिवार में चारो वर्णो के लोग एक साथ निवास करते थे। कलांतर में जन्म आधारित जाति-व्यवस्था के रूप में इसका रूढ रूपांतरण हो गया अब सामाजिक संरचना सोपानीकृत हो गया। कर्मकाण्ड के आधार पर जातियाँ पवित्र एवं अपवित्र होने लगा और एक दूसरे से स्पर्श होना भी प्रतिबंधित हो गया इसप्रकार अस्पृश्यता का उदय हुआ। अस्पृश्य जातियों को अब मानवोचित नैसर्गिक अधिकार से भी वंचित कर दिया गया। समय-समय पर इस कुप्रथा के विरूद्ध धार्मिक आधार पर चुनौतियाँ दी जाती रही और आजाद भारत में संवैधानिक कानून बनाकर इसके समूल उन्मूलन का प्रयास किया गया। नई प्रौधोगिकी के विकास, लोकतांत्रिक शिक्षा के प्रसार, वैश्वीकरण एव रोजगार के नये अवसरों का विकास जैसे तत्व जातिगत सोपानक्रम के कर्मकांडीय पदस्थिति को बदलने में मदद दी है।

DOI: 10.22271/27069109.2025.v7.i10b.546

Pages: 123-127 | Views: 110 | Downloads: 31

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How to cite this article:
रवीन्द्र कुमार. बिहार के अस्पृश्यता उन्मूलन आंदोलन में गांधीजी की भूमिका. Int J Hist 2025;7(10):123-127. DOI: 10.22271/27069109.2025.v7.i10b.546
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