भारत में उच्च पुरापाषाणिक उपकरण निर्माण सामग्री, उपकरण तकनीक एवं उपकरणों के प्रकार
Author(s): डाॅ0 विनोद यादव
Abstract: उपकरणों का निर्माण मानव के जीवन का एक क्रांतिकारी आविष्कार था। प्रकृति पर विजय प्राप्त करने की दिशा में यह उसका पहला कदम था। शारीरिक रूप से अधिकांश जीवों से निर्बल होने पर भी इन अशारीरिक अवयवों द्वारा ही, वह अपने से अधिक विशालकाय तथा शक्तिशाली जीवों से अपनी सुरक्षा करने में न केवल समर्थ रहा बल्कि उन पर प्रभुत्व भी स्थापित कर सका। तत्कालीन मानव ने उपकरण निर्माण हेतु पत्थरों के अतिरिक्त अन्य वस्तुओं जैसे-हड्डी तथा लकड़ी आदि का प्रयोग भी किया होगा परन्तु दोनों ही अपेक्षाकृत अल्प-स्थायी तथा नाशवान हैं, अतः इन वस्तुओं के उपकरण प्रायः नहीं मिलते हैं। इसलिए पुरातात्विक अध्ययन के लिए पाषाण उपकरणों का महत्व और अधिक हो जाता है। ‘प्रस्तर उपकरण’ शब्द का प्रयोग केवल ऐसे पत्थरों के लिए किया जाता है, जिन पर मनुष्य की कारीगरी (भ्नउंद ॅवताउंदेीपच) के प्रमाण मिलते हैं अथवा जिन पर उनके उपयोग के स्पष्ट चिह्न (ब्समंत न्ेमउंतो) प्राप्त होते हैं। आकारगत समानता होने पर भी ऐसे पत्थरों को उपकरणों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है जिन पर उपर्युक्त में से कोई विशेषता नहीं होती है। पत्थर के ये उपकरण प्रागैतिहासिक मानव के जीवन एवं संस्कृति के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करने के लिए विशेष महत्वपूर्ण हैं।
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How to cite this article:
डाॅ0 विनोद यादव. भारत में उच्च पुरापाषाणिक उपकरण निर्माण सामग्री, उपकरण तकनीक एवं उपकरणों के प्रकार. Int J Hist 2025;7(1):51-55.