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International Journal of History

2024, Vol. 6, Issue 2, Part E

राष्ट्रीय खिलाफत आन्दोलन में एक नायक के रूप में गाँधी जी की भूमिका (जनपद अलीगढ़ के विशेष सन्दर्भ से)


Author(s): बलवीर सिंह

Abstract: जिस प्रकार 1776 का वर्ष अमेरिका के इतिहास में महत्वपूर्ण एवं युग प्रर्वतक वर्ष था। उसी प्रकार 1857 का वर्ष भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण वर्ष है। कोई भी क्रान्ति या स्वतंत्रता संग्राम जैसी घटना एक दिन का परिणाम नहीं होती। ऐसी घटनाओं की एक वृृहद पृृष्टभूमि होती है। अतः 1857 में विद्रोह के पीछे भी निश्चित कारण मौजूद थे। 1857 की महान घटना जिसे अंग्रेजों ने सैनिक विरोध तथा सर जैम्स औट्रम ने अंग्रेजों को उखाड़ा फैंकने वाले हिन्दू-मुस्लिम षड़यन्त्र की संज्ञा दी। वास्तव में यह अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता की पहली लंड़ाई ही थी। 1857 में अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति के कारण देश में हर तरह से असन्तोष पैदा हो गया। भारतीय शासक और जनता दोनों ही अंग्रेजों के शासन से बड़े दुःखी एवं क्रुद्ध हो गये थे। उनकी घुटन ही 1857 में एक भयंकर ज्वालामुखी के रूप में फूट पड़ी। जिसने शीघ्र ही समस्त मध्य भारत को आच्छादित कर लिया। विस्फोट की प्रतिक्रिया इतनी वृृहद थी कि दिल्ली के आस-पास के सभी नगर और गाँव इसके प्रभाव में आ गये। 1857 की क्रान्ति के पूर्व राष्ट्रीय घटनाओं के समानान्तर 1855-1857 के मध्य उत्पन्न सैनिक असन्तोष ही प्रमुख कारण था, जिसके फलस्वरूप क्रान्ति का यह विस्फोट संभव हुआ।
ऐसा ही एक आन्दोलन (1920-22) टर्की के साथ सम्पन्न हुई सीवर्स की सन्धि के साथ खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ अन्तराष्ट्रीय स्तर पर हुआ। गाँधी जी ने उचित समय देखकर स्वयं को सामिल कर लिया ये हिन्दु मुस्लिम एकता का विश्वास प्राप्त कर लेना चाहते थे।


Pages: 319-322 | Views: 42 | Downloads: 22

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How to cite this article:
बलवीर सिंह. राष्ट्रीय खिलाफत आन्दोलन में एक नायक के रूप में गाँधी जी की भूमिका (जनपद अलीगढ़ के विशेष सन्दर्भ से). Int J Hist 2024;6(2):319-322.
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