प्राचीन भारत की प्रांतीय लिपियों में ‘नागरी’ लिपि सर्वाधिक प्रचलित लिपि रही। 8वीं-9वीं शताब्दी से उत्तर भारत में यह लिपि व्यवहृत होने लगी थी। दक्षिण भारत में इसके लेख कुछ पहले से मिलते हैं। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के अनेक राजवंशों के शासकों के दानपत्रों, ताम्रपत्रों, शिलालेखों एवं सिक्कों पर इस लिपि का प्रयोग दिखाई देता है।