गुप्त एवं गुप्तोत्तर काल में कला एवं संस्कृति तथा आधुनिक मन्दिर निर्माण पर इसका प्रभाव
Author(s): डाॅ. अंजना
Abstract: गुप्त काल का उदय तीसरी सदी के अन्त में कौशाम्बी में हुआ। इस काल में कला की विविध विधाओं जैसे वास्तु, स्थापत्य, चित्रकला, मृदभाण्ड कला आदि में महत्वपूर्ण प्रगति देखने में मिलती है। मन्दिर निर्माण का जन्म यहीं से हुआ। मन्दिरों का ऊँचे चबूतरे पर निर्माण, देवता की मूर्ति को गर्भगृह में रखना, गर्भगृह के चारो ओर आच्छादित प्रदक्षिणा पथ का निर्माण, पाश्र्व में गंगा, यमुना, शंख व प्रदर को आकृतियों मन्दिर स्थापत्य कला की विशेषता रही। गुप्तकालीन मन्दिर छोटे-छोटे ईंटो एवं पत्थरों के बनाये जाते थे।
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डाॅ. अंजना. गुप्त एवं गुप्तोत्तर काल में कला एवं संस्कृति तथा आधुनिक मन्दिर निर्माण पर इसका प्रभाव. Int J Hist 2023;5(2):218-219.