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International Journal of History

2023, Vol. 5, Issue 1, Part C

गोडवाड़ का मीणा इतिहास


Author(s): Chandra Prakash Meena

Abstract: इस प्रस्तुत शोध-पत्र में मारवाड़-गोडवाड़ क्षेत्र मे बसी प्राचीन मीणा जनजाति के गौरवमयी इतिहास को उल्लेखित करता है। राजपूतो के आगमन से पूर्व यह क्षेत्र यहाॅ के मूल निवासियो के अधिकार क्षेत्र मे था। हालांकि इन मूलनिवासियो का अधिकार क्षेत्र स्थानीय एवं सीमित था। इनकी अपनी समृद्ध सस्कृंति व परम्पराएॅ मौजूद थी। मूलनिवासी मीणा इतने शिक्षित नही थे कि अपने गौरवमयी इतिहास को लिखवा सके या शिलालेख पर उत्कीर्ण करवा सके। इनका इतिहास मौखिक परम्परा पर आधारित पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांरित होता था ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार वेदो का ज्ञान श्रुति पर आधारित था। मीणाओ की वीरता और धीरता के इतिहास को दबाया नही जा सका और आधुनिक इतिहासकारो को अनायास ही इतिहास लेखनी मे मीणाओ को स्थान देना पड़ा क्योंकि सत्य को कितना भी दबाओ बाहर निकल ही आता है। समय के चक्र ने मीणाओ को पूर्व के शासक,मध्यकाल के चोर-डाकू, आधुनिक काल के खेतिहर मजदूर बनने के लिए मजबूर किया लेकिन इनके प्रमुख गुण ‘‘वीरता’’ को इनसे कोई नही छीन सका जो आज भी इनके खून मे मौजूद है। प्राचीनकाल में इसी वीरता वाले गुणो के कारण मूलनिवासी मीणाओ ने अपने छोटे-बड़े राज्य स्थापित किये। राजपूतो के आगमन के साथ ही एक-एक कर मीणाओ से उनकी सत्ता छीन ली गई। इन्होने जंगलो को अपनी शरणस्थली बनाया और अपने ‘‘मेवासे’’ स्थापित किये। इन्होने सुखः की बजाय दुखः अर्थात् अधीनता की बजाय संघर्ष का रास्ता अपनाया जिसे कालांतर मे महाराणा प्रताप जैसे महान शासक ने भी चुना और यही नियति को स्वीकार था। यहाॅ के शासको को हमेशा चुनौती देते रहे, अंग्रेजो के तोप व बंदूको ने मीणाओ को नियत्रंण मे किया लेकिन इनकी स्वच्छन्दता को आज तक कोई काबू मे नही कर पाया। इसी बहादुरी के कारण अंग्रेजो ने मीणाओ को फौज मे भर्ती करने के लिए एरिनपुरा छावणी मे विषेष भर्ती की गई।

Pages: 182-184 | Views: 425 | Downloads: 129

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How to cite this article:
Chandra Prakash Meena. गोडवाड़ का मीणा इतिहास. Int J Hist 2023;5(1):182-184.
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