धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता पर औरंगजेब की नीतियों का प्रभाव
Author(s): Dr. Sushma Kumari Singh
Abstract: औरंगजेब के शासनकाल को इतिहास में एक विवादास्पद युग के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों के मुकाबले धार्मिक सहिष्णुता में कमी लाने वाली कई कठोर नीतियाँ लागू कीं। उनका शासन हिन्दू-मुस्लिम संबंधों और सामाजिक समरसता पर गहरा प्रभाव डालने वाला रहा। औरंगजेब ने जजिया कर का पुनः प्रवर्तन किया, मंदिरों को नष्ट करने और नए मंदिरों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया, और संगीत और कला पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इन नीतियों के कारण हिन्दू समुदाय में असंतोष और विभाजन की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे सामाजिक समरसता में कमी आई और साम्राज्य के भीतर सांप्रदायिक तनाव बढ़ा। इसके अलावा, राजस्थान के राजपूतों और दक्षिण भारत के मराठों जैसे प्रमुख हिंदू शासकों ने उनके खिलाफ विद्रोह किए, जो साम्राज्य की स्थिरता के लिए चुनौतीपूर्ण थे। औरंगजेब की नीतियों के कुछ सकारात्मक पहलु भी थे, जैसे कि उन्होंने प्रशासनिक सुधारों की दिशा में कदम उठाए, शरिया के अनुसार न्याय व्यवस्था स्थापित की, और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाया। इन नीतियों ने शासन प्रणाली को कुछ हद तक मजबूत किया। औरंगजेब की धार्मिक नीतियाँ समाज में असंतोष और साम्प्रदायिक विभाजन का कारण बनीं, जबकि उनके प्रशासनिक सुधारों ने राज्य की व्यवस्था को सुधारने में सहायता प्रदान की। इस प्रकार, उनके शासन की नीतियाँ धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता के लिए हानिकारक साबित हुईं।
Dr. Sushma Kumari Singh. धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता पर औरंगजेब की नीतियों का प्रभाव. Int J Hist 2023;5(1):136-142. DOI: 10.22271/27069109.2023.v5.i1b.327