International Journal of History
2023, Vol. 5, Issue 1, Part B
राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आंदोलन में बिहार की महिलाओं का योगदान
Author(s): डॉ० श्याम मूर्ति भारती
Abstract: महिलाएं देश में आधी आबादी का नेतृत्व करती हैं। महिलाओं के योगदान को विस्मृत कर भारतीय इतिहास को लिखा जाना संभव नहीं है। प्रागैतिहासिक काल से महिलाएं पुरुषों का सहयोग करती आ रही हैं। प्रारम्भ में महिलाओं को अपनी महत्ता का अहसास नहीं था। किन्तु देश में जब सामाजिक पुनर्जागरण से प्रगतिशील विचारधारा जोड़ पकड़ने लगी तब महिलाओं ने अपनी महत्ता को पहचानना शुरू किया। कई लेखकों ने भी अपने लेखन के माध्यम से महिलाओं को यह एहसास दिलाया कि वह साहस तथा शौर्य में पुरुषों के समान है। तथा प्रत्येक वह कार्य करने में सक्षम है, जिसे पुरुष करते आ रहे हैं। इस सम्बंध में सुभद्रा कुमारी चौहान का कथन प्रासंगिक है- “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।” विभिन्न प्रकार की गुलामियों से मुक्ति हेतु सदियों से प्रयास होते रहे हैं। जिनमें महिलाओं ने भी खुल कर पुरुषों का साथ दिया। औपनिवेशिक व्यवस्था के विरोध में भारत में जब स्वाधीनता संग्राम प्रारम्भ हुआ तो उसमें बिहार की महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिलाओं की महत्ता के सन्दर्भ में लार्मिटन का कथन है कि- “सम्पूर्ण महान कार्य के प्रारम्भ में किसी न किसी स्त्री का हाथ रहा है।” भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में मातृत्व शक्ति की भूमिका को कभी नहीं भुलाया जा सकता। जिन्होंने इस भव्य भारत मन्दिर के निर्माण में नींव के पत्थर का कार्य किया।
Pages: 110-113 | Views: 143 | Downloads: 52Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
डॉ० श्याम मूर्ति भारती. राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आंदोलन में बिहार की महिलाओं का योगदान. Int J Hist 2023;5(1):110-113.