दारसागर क्षेत्र (जिला अनूपपुर, मध्य प्रदेश) के पुरातात्त्विक समन्वेषण एवं उत्खनन का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): आलोक श्रोत्रिय, डॉ. मोहन लाल चढार एवं डॉ जिनेन्द्र कुमार जैन
Abstract: मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के अनूपपà¥à¤° जिले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दारसागर गà¥à¤°à¤¾à¤® के निकटवरà¥à¤¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में किठगठपà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤• सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ और उतà¥à¤–नन से अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ हैं । अनूपपà¥à¤° जिला नरà¥à¤®à¤¦à¤¾, सोन और जोहिला नदियों के उदà¥à¤—म सà¥à¤¥à¤² के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। पवितà¥à¤°-सà¥à¤¥à¤² और तपसà¥à¤¥à¤²à¥€ के रूप में अमरकंटक की विशिषà¥à¤Ÿ धारà¥à¤®à¤¿à¤• और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• महिमा है। अनूपपà¥à¤° जिले में इंदिरा गांधी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ जनजातीय विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठगठपà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤• अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ के विविध पकà¥à¤· उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¤ हà¥à¤ हैं। शिवलहरा की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤«à¤¾à¤“ं और गमà¥à¤à¥€à¤°à¤µà¤¾ टोला के पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ टीलों से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सूचनाà¤à¤ इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के इतिहास के पà¥à¤°à¤šà¥à¤›à¤¨à¥à¤¨ तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करती हैं । शिवलहरा की गà¥à¤«à¤¾à¤“ं के बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¥€ लेख तथा गà¥à¤«à¤¾à¤“ं का सà¥à¤µà¤°à¥‚प इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को पà¥à¤°à¤¥à¤® शताबà¥à¤¦à¥€ ई. का à¤à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤² सिदà¥à¤§ करते हैं। इनà¥à¤¹à¥€ गà¥à¤«à¤¾à¤“ं से दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा मे लगà¤à¤— 2 किलोमीटर की दूरी पर केवई नदी के तट पर ही सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ के दौरान पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¶à¤·à¥‹à¤‚ से परिपूरà¥à¤£ सात बडे टीले पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ थे। जहाठसे कà¥à¤·à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ ईंटे, मणà¥à¤¡à¤²à¤•à¥‚प में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होने वाली मृणà¥à¤®à¤¯ नाली के अवशेष तथा मृदà¥à¤à¤¾à¤£à¥à¤¡ खणà¥à¤¡ बडी संखà¥à¤¯à¤¾ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤à¥¤ सतही सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ में इन टीलों से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सिलबटà¥à¤Ÿà¥‡, कोडियों के अवशेष à¤à¤µà¤‚ शंकà¥à¤µà¤¾à¤•à¤¾à¤° मृणà¥à¤®à¤¯ वासà¥à¤¤à¥ खणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ ने इस सà¥à¤¥à¤² के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ की और बाद में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤¤à¥à¤µ सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ से दारसागर के गमà¥à¤à¥€à¤°à¤µà¤¾ टोला में मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ राजà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤¤à¥à¤µ विà¤à¤¾à¤— और डॉ. विषà¥à¤£à¥ शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° वाकणकर शोध संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² के साथ मिलकर उतà¥à¤–नन किया गया गया। उतà¥à¤–नन के उपरांतआरंà¤à¤¿à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• कालीन व गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ से तामà¥à¤°à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥à¤à¤‚, हाथी दांत, शंख, पतà¥à¤¥à¤°, पकी मिटà¥à¤Ÿà¥€ और असà¥à¤¥à¤¿ पर निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ दैनिक जीवन की उपयोगी वसà¥à¤¤à¥à¤, मनोरंजन की सामगà¥à¤°à¥€, शंतरज के मोहरे, चौपड़ के पांसें, खिलौना गाड़ियों के पहिये, अंजन- शलाकाà¤à¤à¤‚, पतà¥à¤¥à¤° के उपकरण, पकी मिटà¥à¤Ÿà¥€ की छोटी गोलियाà¤, आà¤à¥‚षण और असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ हैं जो ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ मानव-जीवन के विविध पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ पर वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हैं। इस शोध पतà¥à¤° में दारसागर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤• समनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤–नन का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करके पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤·à¥‹à¤‚ का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ कालानà¥à¤•à¥à¤°à¤®à¤¿à¤• विवरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है।
DOI: 10.22271/27069109.2022.v4.i2c.179Pages: 166-173 | Views: 1102 | Downloads: 402Download Full Article: Click Here
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आलोक श्रोत्रिय, डॉ. मोहन लाल चढार एवं डॉ जिनेन्द्र कुमार जैन.
दारसागर क्षेत्र (जिला अनूपपुर, मध्य प्रदेश) के पुरातात्त्विक समन्वेषण एवं उत्खनन का विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Hist 2022;4(2):166-173. DOI:
10.22271/27069109.2022.v4.i2c.179