International Journal of History
2022, Vol. 4, Issue 1, Part B
मिथिला-चित्रकला का अंतराष्ट्रीय क्षितिज
Author(s): बबलू कान्त झा
Abstract: मिथिला चित्रकला अपने आरंभिक अवस्था से लेकर 20 वीं सदी के पूर्वार्द्ध तक अपनी चाहर-दिवारी के अंदर ही चौकरी भरती रही। इसे उन्मुक्त होने का सुअवसर प्रदान किया मधुबनी के तात्कालिन एस० डी० ओ० डब्लू जी आर्चर ने। 1934 के महाभूकम्प के बाद क्षेत्र का दौरा करने के क्रम में उन्होंने जो छायाचित्र संकलित किया उसके आधार पर मार्ग पत्रिका में आलेख प्रकाशित किया जिससे विश्वकला प्रेमी मिथिला चित्रकला से अवगत हुए यहीं से मिथिला चित्रकला का सुहाना अंतराष्ट्रीय सफर शुरू हुआ। जो अद्यतन जारी है।
Pages: 88-91 | Views: 185 | Downloads: 46Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
बबलू कान्त झा. मिथिला-चित्रकला का अंतराष्ट्रीय क्षितिज. Int J Hist 2022;4(1):88-91.