कीर्ति किसान पार्टी का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
Author(s): मोनिका रानी, डॉ. राजेंद्र कुमार
Abstract: किसी भी आंदोलन की शक्ति एवं उसके आवश्यक तत्व जो स्थानीय माहौल में मौजूद रहते हैं। परंतु कई बार यह तत्व लंबे समय तक हमें दिखाई नहीं देते अर्थात यह तत्व सुप्त अवस्था में कहीं ना कहीं पड़े होते हैं। जिनमें आंदोलन के बीज समाहित होते हैं, जब इस प्रकार के तत्वों को कोई पथ-प्रदर्शक या प्रेरणा मिलती है, तो इस प्रकार के तत्व किसी बड़े आंदोलन या क्रांति को जन्म देते हैं। आज तक विश्व में जितने भी बड़े आंदोलन या क्रांतियां हुई है, यह सब इस प्रकार की परिस्थितियों की ओर इशारा करती है। ऐसा ही कुछ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान घटित हुआ लंबे समय भारत की आम जनता जिसमें किसान और मजदूर वर्ग के लोग जो आर्थिक सामाजिक, राजनीतिक बदहाली व शोषण के शिकार हो रहे थे। जब ये लोग बाहरी शक्तियों के संपर्क में आए और बाहरी शक्तियों के संपर्क में आने के कारण एक महान आंदोलन का मार्ग प्रशस्त हुआ। एक विचारधारा, कौमी एकता, जागृति और अंत में एक बदलाव जिसने बड़े स्तर पर भारतीयों के जीवन परिवर्तन करने में अहम भूमिका अदा की और भारत की स्वतंत्रता का पथ प्रदर्शक बना। 19वीं शताब्दी के मध्य भारत में राष्ट्रवाद के स्वाद का अनुभव होने लगा था। क्षेत्रीय स्तर पर चल रहे छोटे-छोटे आंदोलनों ने मिलकर भारत के लिए स्वतंत्रता संग्राम का मार्ग प्रशस्त किया।
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How to cite this article:
मोनिका रानी, डॉ. राजेंद्र कुमार. कीर्ति किसान पार्टी का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान. Int J Hist 2022;4(1):38-41.