गजनी वंश: विजारत शब्द की उत्पत्ति, अर्थ, कर्तव्य, क्षमता एवं विशेषाधिकार का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): डॉ. अमन चंद्र
Abstract: विजारत ऐसी संस्था थी जिसे इस्लामी संविधान में मान्यता दी गई थी। जिन गैर-अरबी संस्थाओं को अंतर्मुक्त किया गया तथा मुस्लिम सम्राटो के अधीन मंत्री परिषद् के लिए जो नाम व्यवहार में लाये गये थे उन्हे विजारत की संज्ञा दी गई थी, किन्तु उन सम्राटो के समय विजारत का अर्थ था एक ही मंत्री जो सम्राट का परामर्शदाता बन सकता था। सभी मुस्लिम विधिवेत्ताओं ने इस शब्द की व्याख्या इस दृष्टि से की हैं। अल फर्खार के अनुसार "वजीर उन लोगो को ही कहा जाता हैं जो राजा तथा प्रजा के बीच की कडी बन जाते थे।" अतः उनके लिए यह अपेक्षित था कि राजा की प्रकृति के बारे में जानकारी रखे एवं जनता की प्रकृति के बारे मे जाने ताकि वे दोनो श्रेणियों को अच्छी तरह सभांल सकें और उनके विश्वास पात्र बन सके।
Pages: 136-138 | Views: 169 | Downloads: 37Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
डॉ. अमन चंद्र. गजनी वंश: विजारत शब्द की उत्पत्ति, अर्थ, कर्तव्य, क्षमता एवं विशेषाधिकार का विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Hist 2021;3(2):136-138.