à¤à¤¾à¤°à¤¤ में समकालीन सामाजिक परिवेश और नारी
Author(s): कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ रीता
Abstract: जिस समय बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® का आविरà¥à¤à¤¾à¤µ हो रहा था उस समय की सामाजिक अवसà¥à¤¥à¤¾ निनà¥à¤¦à¤¨à¥€à¤¯ थी। बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® के आविरà¥à¤à¤¾à¤µ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चिंतन परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ की नींव हिल गयी। बà¥à¤¦à¥à¤§ से पहले सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सामाजिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ धरà¥à¤®à¤¾à¤§à¥€à¤¨ थी जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤–à¥à¤¯ सामाजिक अथवा राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ धारा से अलग रखती थी। बà¥à¤¦à¥à¤§ ने अपने चिंतन से सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की दशा सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का काम किया। यह धरà¥à¤® निरीशà¥à¤µà¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ था।
Pages: 174-176 | Views: 1299 | Downloads: 591Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ रीता. à¤à¤¾à¤°à¤¤ में समकालीन सामाजिक परिवेश और नारी. Int J Hist 2020;2(2):174-176.