क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के पुरोधा के रूप में बाल गंगाधर तिलक
Author(s): डाॅ. प्रिय अशोक
Abstract: क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के जनक, भारतीय नवयुवकों के प्राण, स्वराज के नारे के जन्मदाता, विदेशी शासन के प्रति असहयोग के जनक और लोकमान्य से प्रसिद्ध, भारतीय लोक के दुलारे तथा अपनी देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 ई0 को महाराष्ट्र के कोंकण प्रांत में हुआ था। तिलक का पारिवारिक वातावरण धार्मिकता, विद्धता एवं हिन्दू कर्मकांड की पद्धति के लिए विख्यात था। उनके बचपन का नाम बलवंत राव था, आगे चलकर लोग इसी नाम को प्यार से ‘बाल’ कहने लगे और यही नाम उनके जीवन की धरोहर बन गया। तिलक के पिता का नाम गंगाधर पंत था जो पेशे से अध्यापक थे और संस्कृत के उच्च कोटि के विद्वान थे। तिलक ने हिन्दू धर्म के शक्तिशाली सांस्कृतिक और धार्मिक नवोत्थान से भारत में राष्ट्रवादी आन्दोलन को पुष्ट किया। उनका विराट व्यक्तित्व उनके कार्यों तथा प्रयासों का स्पष्ट प्रमाण है। भारतीय राष्ट्रवाद के पुरोधा बनकर तिलक ने अपने जीवनकाल में विभिन्न भूमिकाओं द्वारा तत्कालीन राजनीति को न केवल दिशा निर्देश दिया अपितु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एकता का संचार भरकर देश के सभी जातियों, वर्गों को एक प्लेटफार्म पर लाकर खड़ा कर दिया, जिससे लोगों में स्वतः देश के प्रति बलिदान एवं प्राणोत्सर्ग करने की अत्यधिक भावना पनपने लगी
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डाॅ. प्रिय अशोक. क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के पुरोधा के रूप में बाल गंगाधर तिलक. Int J Hist 2020;2(2):124-127.