हिन्दी पत्रकारिता और राष्ट्रवाद
Author(s): रूपम कुमारी
Abstract: भारत के इतिहास में उन्नीसवीं सदी सामाजिक आर्थिक संक्रमण का काल है, जिनमें से आधुनिक भारत का अभ्युदय हुआ। 19वीं सदी में भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना के विकास का प्रारंभ हुआ। राष्ट्रवाद के उदय में हिन्दी पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पत्रकारिता जनसंचार का सशक्त माध्यम है, जो समाज को जागृत करके उसमें उत्साह एवं चेतना का निर्माण करते है। इससे मनुष्य जीवन की विविधताएँ तथा रोज घटनेवाली घटनाओं से परिचित होते हैं। पत्रकारिता की शक्ति से समाज की कमियों, गलतियों और कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। पत्रकारिता लोगों को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, राजनैतिक गतिविधियों का परिचय देकर उसमें जागृति लाते है। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान लोगों को जागरूक करने में पत्रकारिता का योगदान महत्वपूर्ण रहा। प्रेस तथा पत्रकारिता के द्वारा राष्ट्रवाद को नया आयाम मिला।
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रूपम कुमारी. हिन्दी पत्रकारिता और राष्ट्रवाद. Int J Hist 2020;2(1):53-55.