अलाउद्दीन खिलजी एवं शेरशाह की भू राजस्व व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन
Author(s): डॉ. प्रतिभा शर्मा
Abstract: प्रस्तुत शोध पत्र मध्यकालीन युग के दो प्रमुख शासक अलाउद्दीन खिलजी एवं शेरशाह की भू राजस्व व्यवस्था के तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है। दोनों ही शासक अपने अपने युग के महत्वपूर्ण शासक हैं और दोनों ही प्रमुख सुधारक, नव प्रवर्तक एवं परिवर्तनकारी माने गए हैं । दोनों की तात्कालिक स्थिति समान होने के बावजूद भू राजस्व व्यवस्था में कुछ मूलभूत अंतर दिखाई देते हैं। यद्यपि मध्यकाल में भू राजस्व व्यवस्था में सुधार की शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी द्वारा की गई और इसी तुर्की व्यवस्था को शेरशाह द्वारा भी अपनाया गया । अलाउद्दीन खिलजी की भू राजस्व व्यवस्था की बरनी बड़ी प्रशंसा करते हैं और उसी के आधार पर आधुनिक इतिहासकार उसे 'ग्रामीण क्रांति' की संज्ञा देते हैं जबकि और अलाउद्दीन की व्यवस्था पूरी तरह से भय और कठोर दंड पर आधारित थी जिसमें कि सानों का पूरी तरह से शोषण था। वहीं शेरशाह की भू राजस्व व्यवस्था रैयतवाड़ी व्यवस्था थी जो कि सानों के हित पर आधारित थी। शोध पत्र में दोनों शासकों की भू राजस्व व्यवस्था लागू करने के उद्देश्य, भू राजस्व की दर, भू राजस्व निर्धारण करने के तरीके, कि सानों के हित के लिए कि ए गए कार्य आदि तथ्यों का तुलनात्मक अध्ययन कि या गया है। शोध पत्र में प्राथमिक एवं द्वितीयक एवं शोध पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन कि या गया है।
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डॉ. प्रतिभा शर्मा. अलाउद्दीन खिलजी एवं शेरशाह की भू राजस्व व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन. Int J Hist 2019;1(1):80-82.